चालाक बुढ़िया | Chalak Budhiya | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories

चालाक बुढ़िया | Chalak Budhiya | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories

चालाक बुढ़िया | Chalak Budhiya | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories

कहानियां हमारी जीवन में एक दर्पण का कार्य करती है। यह हमेशा किसी पाठक के लिए आनंदित माहौल पैदा करने के साथ-साथ, उसे कुछ नया भी सिखाती हैं। अगर आप Hindi Stories, Moral Stories या Bedtime Stories पढ़ने के शौकीन हैं तो आज मैं आपके साथ एक नई कहानी साझा करने जा रहा हूं। इस कहानी का नाम है - चालाक बुढ़िया। यह एक Dadi Ki Kahani है, तो कहानी में हमारे साथ अंत तक जुड़े रहें।

चालाक बुढ़िया | Chalak Budhiya | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories

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 चालाक बुढ़िया 


चम्पक नगर के एक छोटे से गांव में एक बूढ़ी अम्मा गांव के बाहर खेतों में एक झोपड़ी में रहा करती थी। वो देखने में बहुत डरावनी थी। 

बूढ़ी अम्मा की एक बहुत ही सुंदर और गुणवान बेटी थी सोना, जो विवाह के योग्य थी। बूढ़ी अम्मा उसके लिए गांव के जंगल से अक्सर फल लेकर आया करती थीं।

एक दिन बूढ़ी अम्मा जंगल से कुछ फल लेकर अपनी झोपड़ी में आती है और देखती है कि उसकी बेटी सोना कहीं नजर नहीं आ रही। 

बूढ़ी अम्मा," अरे ! ये सोना कहाँ चली गयी ? दिखाई क्यों नहीं दे रही ? अरी ओ सोना.. ! कितनी बार कहा है, इस झोपड़ी को लांघकर मत जाया कर लेकिन मेरी सुनती कब है ये लड़की ? "

थोड़ी देर बाद सोना झोपड़ी में आती है। 

बूढ़ी अम्मा," अरे सोना ! आ गयी तू..? कितनी बार कहा है, बाहर मत जाया कर ? वो कन्हैया भूत हमारी झोंपड़ी के बाहर ही बैठा रहता है। 

वह आते जाते गांव वालों को परेशान किया करता है और तुझ पर तो वैसे ही उसकी बुरी नजर है। लेकिन तू है कि सुनती ही नहीं। हे भगवान ! अगर तेरी जल्दी से शादी हो जाये तो मैं गंगा नहा लू, हाँ। "

सोना," क्या माँ, आप भी मेरी शादी के पीछे पड़ी रहती हो ? मैं ना करूँ शादी वादी। अभी मेरी उम्र तो खेलने कूदने की है। "

बूढ़ी अम्मा," अरे ! हट पगली कहीं की... 16 वर्ष की हो जाएगी, इसी माह। जल्दी से कोई सही लड़का मिल जाये बस। "

सोना," अरे अम्मा ! ऐसा कोई बना ना अभी। "

तभी बुढ़िया की ये सब बातें वो कन्हैया भूत कान लगाकर सुन रहा था।

कन्हैया भूत," अरी ओ बुढ़िया ! अपनी सुंदर बेटी का ब्याह मुझसे ही करवा दे। हाँ... इतना झक्कास तो दिखता हूँ मैं। 

कोई और है इस गांव में... इस कन्हैया भूत से ज्यादा स्मार्ट ? नहीं ना... लेकिन तू है कि समझती ही नहीं। 

मेरा प्यार दिखाई नहीं देता तुझे..? अरे ओ मेरे प्यार की दुश्मन ! करवा दे मेरा ब्याह अपनी सुंदरी सोना से। हा हा हा...। "

बूढ़ी अम्मा (मन में)," अरे ! मुआं कन्हैया भूत तो मेरी बेटी के पीछे ही पड़ गया है। ये न मानने वाला है ऐसे। इसका तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, हाँ। "

बूढ़ी अम्मा," अरे ओ कन्हैया भूत ! तू अगर मेरी सोना से शादी करना चाहता है तो तनिक मेरी झोपड़ी के इस छेद से अंदर आकर दिखा, तभी करूँगी अपनी सोना से तेरा ब्याह। समझा..? "

सोना," अम्मा, क्या बोल रही हैं आप ? मेरी शादी भूत से करवाओगी ? हे भगवान ! क्या दिन आ गया है ? "

कन्हैया भूत," अरे ! हाँ हाँ खूंखार बढ़िया, इसमें कौन सी बड़ी बात है ? ये तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। अभी आता हूँ अंदर, हाँ । आल ककड़ी ककड़ी... आल ककड़ी ककड़ी... कन्हैया बन जा मकड़ी। "

तभी वो मकड़ी बन जाता है और बुढ़िया की झोंपड़ी के दरवाजे के छोटे से छेद से अंदर आ जाता है। 

जैसे ही वो अंदर आता है तभी बूढ़ी अम्मा एक कांच की शीशी दरवाजे के छेद पर लगा देती है। जिसके बाद वो कन्हैया भूत उस कांच के शीशे के अंदर कैद हो जाता है।

बूढ़ी अम्मा," हा हा हा... अब आया ना मज़ा। क्या रे कन्हैया भूत ! तू चला था मेरी बेटी से ब्याह करने, अब करके दिखा। अब हो गया ना कैद तू ? अब रह बंद इसी बोतल में, हाँ। हा हा हा...। "

कन्हैया भूत," अरे वो खूंखार बढ़िया ! ये तुने क्या किया है ?
कन्हैया भूत को ही बेवकूफ बना दिया। ये तुने अच्छा नहीं किया। 

तू जानती नहीं है, कन्हैया से पंगा अच्छा नहीं है। चल जल्दी से मुझे बाहर निकाल, चल निकाल मुझे बाहर। "

बूढ़ी अम्मा," अरे ! नहीं नहीं, अब देख तू कन्हैया, अब मैं तुझे अच्छे से मज़ा सिखाउंगी, हाँ। बड़ा आया था मेरी बेटी से ब्याह करने... हा हा हा। "

जिसके बाद बूढ़ी अम्मा कांच की शीशी में बंद कन्हैया भूत को जंगल में एक पेड़ के पास रख देती है। शीशी में बंद कन्हैया भूत बार बार 'मुझे छोड़ दो, मुझे छोड़ दो' की आवाजें लगा रहा था। 

बूढ़ी अम्मा," अब रह तू यहाँ कन्हैया, कोई नहीं आएगा तुझे इस कैद से आजाद कराने, हाँ। "

कहते हुए वो बूढ़ी अम्मा अपनी झोपड़ी में चली जाती है।


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कई दिनों तक शीशी में कन्हैया भूत 'मुझे शीशी से बाहर निकालो, मुझे शीशी से बाहर निकालो' की आवाज़ें देता रहा। लेकिन किसी को भी उसकी आवाज सुनाई नहीं पड़ती।

कन्हैया भूत," मुझे शीशी से बाहर निकालो, निकालो मुझे शीशी से। "

एक दिन एक धोबी उस पेड़ के पास से गुजर रहा था।

धोबी," अरे भाई ! आज तो बहुत गर्मी है। चलते चलते थक गया हूँ, थोड़ा आराम कर लेता हूं। "

वो धोबी उसी पेड़ के पास बैठ जाता है कि तभी उसे कन्हैया भूत की आवाज़ आती है।

कन्हैया भूत," निकालो मुझे शीशी से, निकालो मुझे। अरे ! कोई सुनता क्यों नहीं मेरी आवाज़ ? भाई, निकालो मुझे यहां से। "

धोबी," अरे भाई ! ये आवाजें कहाँ से आ रही है ? भाई, लगता है कोई सहायता के लिए पुकार रहा है। "

धोबी इधर उधर देखने लगता है कि उसे पेड़ के पास रखी वो कांच की बोतल दिखती है। उसमें कन्हैया भूत मकड़ी के रूप में था। धोबी ये देखकर हैरान हो गया।

धोबी," अरे भाई ! ये शीशी में बंद मकड़ी कैसे बोल रही है ? ऐसा तो पहले कभी नहीं देखा,भाई। "

धोबी वो शीशी अपने हाथ में लेता है और मकड़ी को बाहर निकाल देता है। तभी कन्हैया भूत अपने असली रूप में आ जाता है।

कन्हैया भूत," अरे भाई ! वाह वाह.... तुम्हारा बहुत धन्यवाद भाई ! ना जाने कितने दिनों से मैं इस बदबूदार शीशी में बंद था ? छि छि छि... क्या बताऊँ, कैसी जिंदगी हो गयी थी मेरी ? 

कई दिनों से ना कुछ खाया है, ना कुछ पिया है। हाय हाय हाय...
बहुत जोरों की भूख लगी है। ऐ भाई ! कुछ खाने को है क्या ? जल्दी दे दे, पेट में चूहे अकड़ी बकड़ी खेल रहे हैं। "

धोबी कन्हैया भूत की ये सारी बातें सुनकर बहुत हैरान हो जाता है।

धोबी," क्या तुम भूत हो भाई ? आखिर तुम इस शीशी में कैसे आये हो ? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। 

कन्हैया भूत," अरे ! बताता हूँ रे, इतना हाइपर क्यों होता है ? पहले कुछ खाने को तो दे। "

तभी धोबी झोली में से कन्हैया को रोटी देता है। कन्हैया भूत जल्दी जल्दी रोटी खाने लगता है।

कन्हैया भूत," अरे अरे ! कितनी बेस्वाद रोटी खाता है रे तू ? बोले तो एकदम गोबर माफिक। अभी तो भूख लगी है तो खा ही लेता हूं। "

रोटी खाने के बाद कन्हैया भूत धोबी को सारी बात बताता है।

धोबी," अरे कन्हैया भूत ! क्या तुम सच बोल रहे हो ? उस खूंखार बुढिया की बेटी क्या सच में बहुत सुंदर है ? "

कन्हैया भूत," हां हां, उस खूंखार बुढ़िया की बेटी सच में बहुत सुंदर है। एकदम हीरोइन माफिक लगती है रे। तभी तो इस हैंडसम कन्हैया भूत का दिल उस पर आया। "

धोबी (मन में)," अगर उस बुढ़िया की बेटी इतनी ही सुन्दर है तो क्यों ना... मेरे बेटे पकिया की शादी उससे हो जाए ? 

धोबी," अच्छा कन्हैया भूत... उस बुढ़िया का घर कहाँ है ? "

कन्हैया भूत," अरे रे ! तू क्यूं पूछता है उसका घर ? वो बहुत ही खूंखार बढ़िया है। उससे तो मुझ भूत को भी डर लगता है रे। देखा नहीं, क्या हाल कर दिया उसने मेरा ? 

इस बोतल में रहकर तो कन्हैया का सारा फ़िगर ही बिगड़ गया रे। वैसे उसका घर गांव के खेत के पीछे वाले जंगल में है, हाँ।

धोबी," अच्छा अच्छा ठीक है, अब मैंने तुम्हें इस कैद से रिहा कर दिया है। अब तुम आज़ाद हो। लेकिन अब मुझसे वादा करो कि तुम किसी को भी परेशान नहीं करोगे।

कन्हैया भूत," अच्छा अच्छा ठीक है, तूने कन्हैया की मदद की तो इतना तो बनता है। चल मैं वादा करता हूँ, किसी को भी परेशान नहीं करूँगा, हाँ।"

जिसके बाद धोबी वहाँ से बुढ़िया के घर जाता है। तभी बुढ़िया धोबी को देखती है।

बुढ़िया," अरे ओह भाई ! कहाँ मुँह उठाकर चले आ रहे हो ? कौन हो तुम और यहां मेरी झोपड़ी में क्या करने आये हो ? "

पहले उस खुंखार बुढ़िया को देखकर धोबी थोड़ा डर जाता है।

धोबी," वो अम्मा, मुझे अपने बेटे के लिए तुम्हारी बेटी सोना पसंद है। अगर तुम्हारी मंजूरी हो तो मैं अपने बेटे पकिया की शादी सोना से कराना चाहता हूँ। "

धोबी की यह बात सुनकर पहले बुढ़िया थोड़ा सोच में पड़ जाती है।

बुढ़िया," क्या कहा तूने..? मेरी बेटी सोना की शादी तू अपने बेटे से करना चाहता है ? क्या तुझे पता भी है पूरा गांव डरता है मुझसे ? 

अगर मेरी बेटी को तेरे घर में ज़रा भी तकलीफ हुई तो मैं तेरा क्या हाल करूँगी, हां। "

धोबी," अरे ! नहीं नहीं अम्मा, मेरा एक ही इकलौता बेटा है जिसके लिए मुझे सुंदर लड़की चाहिए और तुम्हारी बेटी इस गांव में सबसे सुंदर है। "

बुढ़िया," हाँ हाँ, वो तो है। मेरी बेटी सोना इस गांव में ही नहीं बल्कि आसपास के सभी गांवों में सबसे सुंदर है। 

चलो ठीक है, मुझे ये रिश्ता मंजूर है। कल ही सोना और तुम्हारे बेटे की शादी कर देते है, हाँ। शुभ काम में देरी कैसी ? "

जिसके बाद सोना और धोबी के बेटे पकिया की शादी बड़ी धूमधाम से की जाती है। तभी ये बात कन्हैया भूत को पता चलती है कि उस बुढ़िया की बेटी की शादी धोबी के बेटे से हो गयी है।

कन्हैया भूत," अच्छा भैया... तो इस खुंखार बुढ़िया ने अपनी बेटी की शादी इस धोबी के बेटे से कर दी है। ये तुमने अच्छा नहीं किया। 

अब मैं इस पकिया को अच्छा मज़ा चखाऊंगा, हाँ। आखिर कन्हैया भूत नाम है मेरा। ऐसे सस्ते में पीछा नहीं छोड़ूंगा भैया, हां। "

जिसके बाद वो कन्हैया भूत धोबी के घर जाता है और देखता है कि पकिया अपने घर में सो रहा है। तभी वो पकिया के पास जाता है और पकिया का गला दबाने लगता है।

कन्हैया भूत," आज तो इस पकिया को मार ही डालूँगा, हाँ। मेरी सोना से ब्याह रचा के बैठ गया है, ससुरे का नाती। इसको मारके इसका किस्सा ही खत्म कर दूंगा। "

तभी वहाँ पर सोना आ जाती है और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है। 

सोना," बचाओ... कोई इन्हें बचाओ। ये कन्हैया भूत इन्हें मार डालेगा। "

तभी सोना की आवाज सुनकर वहाँ पर धोबी आ जाता है। धोबी वहाँ कन्हैया को देखकर हैरान हो जाता है।

धोबी," अरे तू यहाँ कैसे आया ? मैंने तुझे उस शीशी से आजाद किया था ना ? तुमने वादा भी किया था कि तू किसी भी गांव वालों को परेशान नहीं करेगा। 

लेकिन तू तो मेरे ही बेटे की जान लेने पर उतारू हो गया है। चल छोड़ मेरे बेटे को। "

कन्हैया भूत," अरे ओ धोबी ! तूने कन्हैया भूत को बेवकूफ बनाया। लगता है तेरा माइंडवा क्रैश हो गया था तेरा, जो तूने सोना की शादी अपने इस बेटे से करवा दी। अब देख तू... कन्हैया भूत कैसे इसकी जान ले लेगा, हाँ। "

तभी वहाँ पर सोना की माँ, वही बुढ़िया आ जाती है जिसके हाथ में फिर से एक शीशी होती है। 

कन्हैया भूत," अरे ओ कन्हैया ! छोड़ पकिया को। लगता है... मेरा सिखाया सबक बहुत जल्दी भूल गया तू। देख... फिर वही कांच की शीशी ले आयी हूँ, हाँ। बता रही हूँ, तुझे इसमें कैद कर दूंगी। बता चिरकुट करूं तुझे कैद ? "

कन्हैया भूत," अरे अरे अरे... ये खूंखार बढ़िया मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ती हैं ? आय हाय ! ना जाने कौन से जनम का बदला ले रही है मुझसे ? 

भाई, लगता है यहाँ से भागना ही पड़ेगा। इसक पिसक चिसक... कन्हैया बेटा, यहाँ से जल्दी खिसक। दोबारा आऊंगा मैं अपनी सोना को लेने, हाँ। "

बुढ़िया," चल भाग यहाँ से, बड़ा आया मेरी सोना को लेने। "


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पकिया," अच्छा हुआ सासू मां... जो आप वक्त पर आ गए, नहीं तो ये कन्हैया आज मेरी जान ही निकाल देता। "

बुढ़िया," हट मूरवख कहीं का... एक लुच्चे से भूत से मेरी सोना को नहीं बचा पाया, मेरी बेटी को पता नहीं कैसे संभालेगा ? खैर... अब तो बुढ़िया भी तेरे साथ, अच्छे से ख्याल रखना। "

सब लोग ज़ोर से हंसने लगते हैं और सोना और पकिया खुशी खुशी रहने लगते हैं।


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