अत्याचारी मां | Atyachari Maa | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories
कहानियां हमारी जीवन में एक दर्पण का कार्य करती है। यह हमेशा किसी पाठक के लिए आनंदित माहौल पैदा करने के साथ-साथ, उसे कुछ नया भी सिखाती हैं। अगर आप Hindi Stories, Moral Stories या Bedtime Stories पढ़ने के शौकीन हैं तो आज मैं आपके साथ एक नई कहानी साझा करने जा रहा हूं। इस कहानी का नाम है - अत्याचारी मां। यह एक Moral Story है, तो कहानी में हमारे साथ अंत तक जुड़े रहें।

Atyachari Maa | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories
अत्याचारी मां
कालीगढ़ नाम के एक छोटे से गांव में एक गरीब किसान (चंदू) रहता था। उसके दो बच्चे थे, पिंकी और पप्पू। दोनों बहुत ज्यादा समझदार नहीं थे।
चंदू उन दोनों से बहुत प्यार करता था। मीना पिंकी और पप्पू की सौतेली मां थी। मीना पिंकी और पप्पू को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी।
वह हमेशा उन दोनों को किसी ना किसी कारण परेशान ही किया करती थी। एक दिन सौतेली मां (मीना) लड्डू बना रही थी।
मीना," हा हा हा... क्या खुशबू है ? इसे खाकर तो गट्टू खुश हो जाएगा। "
तभी मीना के पास पिंकी आती है।
पिंकी," मीना मां - 2... एक लड्डू दो ना, बहुत तेज भूख लगी है। "
मीना," यह लड्डू मैंने तेरे लिए नहीं बनाए। समझी..? बल्कि अपने गट्टू के लिए बनाए हैं। वो अभी आता ही होगा। "
पिंकी," मैं जानती हूं, भैया के लिए बनाए है लेकिन बस एक लड्डू दे दो। मुझे बेसन के लड्डू बहुत पसंद है। "
मीना," हां हां, जो मेरे गट्टू को पसंद होता है, वही तुम दोनों भाई-बहनों को भी पसंद है। अब जा यहां से। बड़ी आई लड्डू खाने वाली। "
मीना की ऐसी बात सुनकर पिंकी उदास हो जाती है। तभी वहां गट्टू आता है।
वह बड़ी कड़क आवाज में बोलता है।
गट्टू," मां, ओ मां ! मुझे कुछ खाने को दो जल्दी, भूख लगी है। मुझे बहुत भूख लगी है। "
तभी मीना उसके लिए लड्डू लेकर आती है।
गट्टू लड्डू को खाने लगता है।
मीना," कैसे लगे तुझे बेसन के लड्डू ? ठीक तो बने हैं ना ? "
गट्टू," मां और लड्डू लेकर आओ। और भूख लगी है। "
मीना," हां हां, अभी लाती हूं। तेरे लिए ही तो बनाए हैं। "
देखते ही देखते गट्टू बहुत सारे लड्डू खा लेता है। पिंकी वहां खड़े होकर उदासी भरी नजरों से देख रही थी।
थोड़ी देर बाद गट्टू के ज्यादा लड्डू खाने की वजह से बहुत तेज पेट में दर्द होता है।
गट्टू," उई मां, मर गया मैं तो। बहुत तेज पेट दर्द कर रहा है। "
मीना," क्या हुआ मेरे लाल ? "
गट्टू," पता नहीं, बहुत तेज पेट दर्द हो रहा है। "
मीना," ये जरूर उस मनहूस पिंकी की वजह से हुआ होगा। देखा नहीं..? जब तू लड्डू खा रहा था, कैसे घूर घूरकर देख रही थी ? "
तभी मीना और जोर जोर से चिल्लाने लगती है।
मीना," पिंकी, ओ पिंकी ! कहां मर गई ? "
तभी पिंकी आती है।
पिंकी," मां, आपने मुझे बुलाया क्या ? "
मीना," अरे ! देख तेरी वजह से मेरे लाल के पेट में दर्द हो रहा है। "
बच्चे गिल्ली डंडा खेल रहे थे।
अचानक गिल्ली आकर मेरे सर में लग गई। इससे पहले मैं उन्हें देख पाता, वह वहां से भाग गए। "
मीना," हे भगवान ! ऐसे बदमाश और बिगड़ैल बच्चों की वजह से चोट लग गई। आपको थोड़ा संभलकर चलना था। "
गट्टू," अरे बाबा ! क्या आप भी... देख कर नहीं चल सकते ? लग गई ना गिल्ली सर पर। "
चंदू," अच्छा तो यह सब तेरा किया धरा... नालायक। तूने ही गिल्ली मारी है मुझे ? "
गट्टू," अरे बाबा ! मैंने तो गिल्ली आराम से ही उछाली थी। आप पता नहीं कहां से बीच में आ गए ? अब इसमें मेरी गलती थोड़ी ना हुई। "
चंदू," देखो देखो नालायक को... कैसे जुबान चला रहा है ? "
मीना," अरे ! हो गई होगी गलती, आप तो मेरे लाल के पीछे ही पड़ गए। "
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तभी पिंकी अंदर से दवा लेकर आती है।
पिंकी," बाबा, लाइए मैं आपकी चोट पर दवा लगा देती हूं। इससे आपकी चोट जल्दी भर जाएगी। "
चंदू," हां, मेरी बच्ची... ले लगा दे। "
थोड़ी देर बाद...
गट्टू," मां, ओ मां ! मेरा आज पकौड़े खाने का मन है, जरा बना देना। और जरा जल्दी बनाना, भूख लगी है। "
मीना," हां हां, क्यों नहीं मेरे बच्चे ? अभी बनाकर लाती हूं। मेरे लाल की कुछ खाने की इच्छा हो और मैं ना बनाऊं, ऐसा थोड़े ही हो सकता है। तू रुक अभी बनाकर लाती हूं। "
मीना पकौड़े बनाने लगती है। वह पकौड़े बना ही रही होती है कि तभी उसकी पड़ोसन (चंपा) आती है। उसके हाथ में एक खाली कटोरी होती है।
चंपा," भाभी, ओ मीना भाभी ! अरे कहां हो ? "
मीना, हां बोलिए चंपा भाभी, कैसे आना हुआ ? "
पिंकी," मीना मां, मुझे और पप्पू भैया को बहुत तेज भूख लगी है। कुछ खाने को दो ना। "
मीना," नहीं, बिल्कुल खाना नहीं मिलेगा तुम दोनों को। एक दिन नहीं खाओगे तो मर नहीं जाओगे। अब जा यहां से... मुझे बहुत नींद आ रही है। मैं सोने जा रही हूं। "
थोड़ी देर बाद मीना अपने कमरे में खर्राटे मारकर सो रही थी। तभी पिंकी और पप्पू चुपके से उसके पास आते हैं और उसे सोता देखकर दोनों रसोई में जाते हैं।
पप्पू," अरे पिंकी ! देख इस बर्तन में तो खीर रखी है। आ जा दोनों यही खाते हैं। "
पिंकी," लेकिन भैया मीना मां को पता चलेगा तो बहुत गुस्सा करेंगी। "
पप्पू," तू घबरा मत। अभी खीर खा... मां से कैसे बचना है, मुझे पता है प्यारी बहना। "
पप्पू," आज तो सच में खीर खाकर मजा ही आ गया। "
पिंकी," लेकिन भैया खीर तो अब बहुत कम बची है। मीना मां को पता चलेगा तो वह हमें बहुत डांटेगी। "
पप्पू," पिंकी अब तू अपने भाई का कमाल देख। "
पप्पू खीर में चार गिलास पानी और साथ में थोड़ा नमक डाल देता है।
पप्पू," अब चल यहां से पिंकी। मीना मां न देख लिया तो आफत आ जाएगी। "
अगली सुबह...
गट्टू," मां, ओ मां ! बहुत तेज भूख लगी है। रात वाली खीर लाकर दो। "
गट्टू ( खीर आते ही)," छी थू... यह कैसी बेकार खीर खिला दी मुझे ? मां, किसने कहा था आपको खीर गर्म करने को। मुझे अब उल्टी आ रही है। "
मीना," अरे ! क्या हुआ ? मैंने तो इतनी स्वादिष्ट खीर बनाई थी। "
इसके बाद मीना खुद खीर खा कर देखती है लेकिन निवाले को मुंह में ले जाते ही तुरंत थूक देती है।
मीना," अरे रे ! इतनी कड़वी और स्वादहीन खीर कैसे हो गई ? इसे खाकर तो मुझे भी उल्टी आ जाएगी। "
यह देखकर दरवाजे के बाहर से पिंकी और पप्पू हंसने लगे।
तभी चंपा, मीना की पड़ोसन वापस मीना के घर आती है।
चंपा," भाभी, ओ मीना भाभी ! तुम्हारे लिए खुशखबरी लाई हूं। तुम अक्सर कहती हो ना, तुम्हें बहुत अच्छा नृत्य आता है ?
तो हमारे गांव में नृत्य प्रतियोगिता होने वाली है। इनाम में मोटी राशि मिलेगी। मैंने उसमें तुम्हारा नाम लिखवाया है। गांव की सभी औरतें उसमें हिस्सा ले रही है। "
मीना (मन में)," अरे रे ! इस पागल औरत ने यह क्या कर दिया मुझे तूने नृत्य आता ही नहीं। इसे तो मैंने ऐसे ही बोल दिया था।
क्या करूंगी अब मैं ? अगर मना करूंगी तो पूरा गांव में मुझ पर हंसेगा। सब झूठा कहेंगे। "
मीना," हां हां, क्यों नहीं भाभी ? मुझे तो नृत्य में महारत हासिल है। कोई भी मेरे सामने टिक नहीं पाएगी, हां। तुम देखना अब। "
चंपा," हां, हां, क्यों नहीं भला ? अच्छा अब मैं चलती हूं। "
इसके बाद चंपा वहां से चली जाती है।
मीना (खुद से)," चंपा से तो मैंने बोल दिया कि मुझे बहुत अच्छा नृत्य आता है। लेकिन वास्तव में तो मैं नृत्य करना जानती ही नहीं हूं।
चलो खैर... अब जो भी हो, समय निकालकर थोड़ा अभ्यास ही कर लेती हूं। आखिर मैं किसी से कम थोड़े ही ना हूं। "
इसके बाद मीना उल जलूल नृत्य करने लगती है। देखते ही देखते अचानक उसका पैर मुड़ जाता है और वह जमीन पर गिर जाती है।
मीना गट्टू को आवाज लगाती है।
मीना," गट्टू बेटा, देख तो मेरे पांव में चोट आई है। मुझे सहारा देकर बिस्तर तक तो छोड़ दे। "
गट्टू," अरे ! देख तो रहा हूं। इतना चिल्ला क्यों रही हो ? छोटी सी तो चोट है। अच्छा... मैं चलता हूं। मुझे अपने दोस्तों के साथ खेलने जाना है। "
गट्टू खेलने निकल जाता है। तभी पिंकी और पप्पू वहां आते हैं और मीना को चारपाई पर बैठाते हैं और उसके पैर में दवा लगाते हैं।
पिंकी," अब कैसा लग रहा है मीना मां ? क्या अभी भी आपको दर्द हो रहा है ? "
पप्पू," हां मां, बताओ ना हमें... क्या आपको दर्द हो रहा है ? मैं अभी वैद्य जी को बुला लाता हूं। "
यह देखकर मीना का दिल पसीजने लगता है।
मीना," मुसीबत आई तो मेरा खुद का बच्चा मुझे इस हालत में छोड़कर चला गया। हे भगवान ! मुझे माफ कर देना।
मेरे बच्चों... मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हारे साथ हमेशा सौतेली मां जैसा ही बर्ताव किया। कभी तुम्हें मां का प्यार नहीं दिया।
लेकिन तुम सच में बहुत अच्छे हो। मेरे बच्च... मैं जानती हूं कि मैं तुम्हारी माफी के काबिल नहीं हूं। फिर भी हो सके तो मुझे माफ कर देना। "
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पप्पू," आप माफी मत मांगिए। हमने आपको अपनी मां पूरे दिल से माना है। हम यह जरुर जानते थे कि एक दिन आप जरूर हमें अपना लोगी। "
पिंकी," हां मां, हमने कभी आपको सौतेली मां नहीं माना। अब आप ही हमारी मां हैं। "
दोनों नन्हे बच्चों के मुंह से इतने प्यार भरे शब्द सुनकर मीना की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह दोनों को गले लगा लेती है।
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