जादुई फसल | Jadui Fasal | Hindi Kahani | Moral Stories | Jadui Kahani | Hindi Stories | Bedtime Stories

जादुई फसल | Jadui Fasal | Hindi Kahani | Moral Stories | Jadui Kahani | Hindi Stories | Bedtime Stories

कहानियां हमारी जीवन में एक दर्पण का कार्य करती है। यह हमेशा किसी पाठक के लिए आनंदित माहौल पैदा करने के साथ-साथ, उसे कुछ नया भी सिखाती हैं। अगर आप Hindi Stories, Moral Stories या Bedtime Stories पढ़ने के शौकीन हैं तो आज मैं आपके साथ एक नई कहानी साझा करने जा रहा हूं। इस कहानी का नाम है - जादुई फसल। यह एक Megical Story है, तो कहानी में हमारे साथ अंत तक जुड़े रहें।

जादुई फसल | Jadui Fasal | Hindi Kahani | Moral Stories | Jadui Kahani | Hindi Stories | Bedtime Stories

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 जादुई फसल 


गोपालगंज नाम के एक गांव में मदन नाम का एक किसान रहता था। मदन अपने खेतों में खूब मेहनत करता था। 

उसी से आने वाले थोड़े बहुत पैसों से ही उसका घर चलता था। मदन के घर में उसकी पत्नी माला और दो छोटे-छोटे बच्चे थे।

मदन," माला, मैंने अपनी जमीन पर आम के पेड़ लगाए हैं।पड़ोसी किशोर बता रहा था कि पिछले साल आम काफी अच्छे दामों में बिके हैं और शहर भर में तो आमों की खपत भी बहुत ज्यादा हुई है। 

इसलिए मैंने अपनी खेती पर भी आम के पेड़ लगा दिये। अगर सब कुछ अच्छा रहा तो इस साल हम दोगुना मुनाफा कमाएंगे और अपने घर की मरम्मत भी करवा देंगे। इसी के साथ साथ बच्चों को भी बेहतर शिक्षा दे पाएंगे। "

माला," अरे ! यह तो बहुत अच्छी बात है। भगवान हमारी जरूर सुनेंगे। हमारे आम भी अच्छे दामों में बिकेंगे और खूब मुनाफा कमाएंगे। "

मदन," हां हां... अब मैं भी खेत पर जाता हूं। "

मदन रोजाना अपने खेतों पर जाकर पौधों को पानी देता और उनकी खूब सेवा करता था ताकि बहुत ज्यादा फल दे सके। 

कुछ दिन बीत जाते हैं और बारिश का मौसम आ जाता है। मदन के आम के पेड़ अब फल देने के लिए तैयार हो चुके थे।

मदन का दोस्त किशोर का भी खेत उसके बगल में ही था। वे दोनों काम करने के साथ-साथ बातचीत भी करते रहा करते थे।

किशोर," मदन भैया, आपकी जमीन पर आम के पेड़ तो बहुत अच्छे लग रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि इस बार आम के पेड़ों पर खूब अच्छा फल आएगा। "

मदन," हां किशोर, मैंने मेहनत तो बहुत की है। अब भगवान की कृपा से फल तो अच्छा ही आना चाहिए। इस बार मुनाफा भी ज्यादा होगा। "

किशोर," भगवान हम सब पर कृपा बनाए रखें। बस इस बार कोई तूफानी बारिश ना आए। कुछ गांव वाले कह रहे थे कि अगर इस बार ज्यादा बारिश हो गई तो काफी फसल नष्ट हो जाएगी।

बस उन लोगों की यही बात सुनकर मेरे मन में डर बैठ गया है। कहीं ऐसा ना हो कि हमारी की हुई मेहनत बेकार चली जाये। "

मदन," अरे ! नहीं नहीं... ऐसा मत सोचो। भगवान सभी का भला करते हैं, उन पर भरोसा रखो। "

अपना अपना काम खत्म करके मदन और किशोर अपने-अपने घर लौट आते हैं। मदन ने किशोर को तो दिलासा दे दिया लेकिन घर पहुंचने के बाद यह बात उसके दिल और दिमाग में बैठ गई। 

वह सोचने लगा कि अगर सच में तूफानी बारिश हुई तो उनकी की हुई मेहनत पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।

एक दिन बहुत तेज बारिश हुई। बारिश बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी। घर में बैठा मदन बारिश रुकने का इंतजार कर रहा था।

माला," यह बारिश तो बंद होने का नाम ही नहीं ले रही। "

मदन," मेरा तो दिल बैठा जा रहा है। इतनी तेज बारिश हो रही है । मुझे तो लगता है इस बार पूरे गांव की फसल बर्बाद हो सकती है। 

और मैंने जो इतने महीनों तक खेतों में जी जान से मेहनत की है वह सब बर्बाद हो जाएगी। "

माला," चिंता ना करें। ऐसा कुछ नहीं होगा। "

मदन," तुम नहीं जानती। कुछ सालों पहले ऐसी ही बारिश आई थी। पूरे गांव के खेत बर्बाद हो गए। उस साल गांव में किसी को भी उनकी मेहनत का फल नहीं मिला। 

यदि इस बार भी ऐसा ही हुआ तो मुनाफा तो दूर की बात है, हमें खाने के भी लाले पड़ जाएंगे। मुझे कुछ और काम करने को मजबूर होना पड़ेगा। "

इसी तरह चिंता और सोच में मदन पूरी रात सो नहीं पाता। अगले दिन मदन सुबह बारिश बंद होते ही अपने पेड़ों को देखने भागता है। 

परंतु वहां का नजारा देखकर उसके होश उड़ जाते हैं। वहां चारों तरफ बर्बादी का मंजर दिख रहा था। 

सभी पेड़ और फसलें बर्बाद हो चुके थे। मदन सर पकड़कर वहीं घुटनों के बल बैठ जाता है और रोने लगता है।

तभी किशोर वहां आता है।

किशोर," अरे भैया ! इस तूफानी बारिश ने तो सभी किसानों की फसल और पेड़ को बर्बाद कर दिया। देखो तुम्हारी और हमारी मेहनत पर किस तरह पानी फिर गया ? "

मदन," मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। मैं क्या करूं ? मैंने तो अपनी सारी उम्मीदें इसी फसल से लगाई हुई थी। मैं अपना घर चलाने के लिए क्या करूं ? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। " 

किशोर," अरे भैया ! सभी का यही हाल है। गांव में जितने भी किसान है, सभी पर यही मुसीबत आई है। "

किशोर वहां से चला जाता है। परंतु मदन वहीं बैठा बैठा रोता रहता है। काफी देर वहां उदास बैठे रहने के बाद मदन जब अपने घर की ओर जाता है तो घर का नजारा देखकर उसका मन और दुखी हो जाता है। 

बारिश के पानी से घर की छत बह रही थी और भूखे - प्यासे बीवी और बच्चे कोने में छुपकर बैठे थे। 


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माला," अरे ! कहां थे आप ? कब से आपका इंतजार कर रही थी ? देखिए ना... छत से कितना पानी टपक रहा है और भूखे प्यासे बच्चे कब से खाने की तलाश में है। 

मैं खाना कहां से लाऊं ? ना तो घर में राशन है और ना ही सोने की जगह। आप कुछ कीजिए ना। मुझसे बच्चों का इस तरह बिलखना देखा नहीं जाता। "

मदन," माला, मैं कुछ करता हूं। हमारा सब कुछ बर्बाद हो चुका है। भगवान ना जाने हमारी कैसी परीक्षा ले रहा है ? मैं बच्चों के खाने पीने का बंदोबस्त करता हूं। "

अपनी बीवी बच्चों को इस हालत में देखकर मदन मन ही मन रोने लगता है। अपने बच्चों के खाने के इंतजाम के खातिर मदन घर से भागता हुआ बाजार की दुकानों की ओर जाता है। 

परंतु बारिश होने के कारण उसे कहीं से भी कोई मदद नहीं मिलती; क्योंकि उस आफत भरी बारिश में सभी का बुरा हाल था। 

बहुत भारी मन से मदन खाली हाथ निराश होकर अपने घर को लौटने लगता है। तभी अचानक उसे कराहने की आवाज सुनाई दी। 

मदन," यह किसी पक्षी के रोने की आवाज कहां से आ रही है ? "
जब वह इधर उधर नजर घुमाता है तो उसे एक घायल चिड़िया सामने जमीन पर पड़ी हुई दिखाई देती है जो दर्द से बुरी तरह कराह रही थी। 

मदन," अरे ! यह चिड़िया को किसने घायल कर दिया लगता है ? लगता है यह भी इस बारिश में ही घायल हुई है। "

मदन उस घायल चिड़िया को देखकर अपने जख्म भूल जाता है और उस चिड़िया के जख्म को साफ करके उसकी मरहम पट्टी करता है और उसे पानी से अच्छी तरह साफ करके उसे पानी पिलाता है। 

कुछ देर में चिड़िया का दर्द कम होता है और वह मदन से कहती है," तुम कितने अच्छे इंसान हो ? तुम ने मेरी मदद की है। 

तुमने मेरी जान बचाई है। तुम खुद कितने दुखी और परेशान थे ? फिर भी तुमने एक चिड़िया के दर्द को देखा। तुम बहुत ही अच्छे इंसान हो। "

पक्षी को इस तरह बोलता हुआ देख मदन बहुत हैरान हो जाता है। 

मदन," तुम एक पक्षी हो फिर भी इंसानों की भाषा कैसे बोल रही हो ? लगता है तुम एक साधारण चिड़िया नहीं हो। "

चिड़िया," हां, मैं एक जादुई चिड़िया हूं और मैं तुम्हारी परीक्षा लेने आई थी। मैं देखना चाहती थी कि इतने बड़े दुख में भी क्या तुम मेरी मदद करोगे ? 

तुम इस परीक्षा में पास हुए। इसीलिए मैं तुम्हें एक उपहार देती हूं। तुम मुझसे कोई भी वरदान मांग लो। जो भी इच्छा जाहिर करोगे वह पूरी होगी। "

मदन कुछ सोचने के बाद चिड़िया से कहता है," आप तो सब जानती हैं। मेरी पूरी मेहनत पर पानी फिर गया है। 

मेरे पेड़ फल देने को तैयार थे परंतु ऐसी तूफानी बारिश आने की वजह से मेरी सारी फसल बर्बाद हो गई। 

आप मेरी कुछ ऐसी मदद करें जिससे मेरी सारी फसल पहले की तरह ठीक हो जाए और मैं इस मुसीबत से निकल पाऊं। "

चिड़िया," मैं तुम्हें कुछ बीज दे रही हूं जिन्हें तुम कल सुबह अपने खेतों में डाल देना। फिर देखना तुम्हारे पेड़ों पर सोने की आम लगेंगे। 

तुम्हारे जो भी पेड़ बर्बाद हो गए हैं वह सभी उनके जादू से ठीक हो जाएंगे और उन पर सोने के आम लगेंगे। इसके बाद तुम्हें कभी भी चिंता और गरीबी का सामना नहीं करना पड़ेगा। "

चिड़िया वह जादुई बीज देकर वहां से उड़ जाती है।

मदन वहीं बैठा सोच रहा होता है।

मदन," भाई, क्या इस चिड़िया ने सच में जादुई बीज दिए होंगे ? क्या सचमुच मेरे भागों में सोने के आम लगेंगे ? 

ऐसा हो गया तो मेरी सभी मुसीबतें खत्म हो जाएंगी और मैं सुख का जीवन बिता पाऊंगा। "

मदन उन सोने के बीजों को उठाता है और घर की तरफ निकल जाता है। 

घर पहुंचने के बाद...
माला," आप कहां गए थे ? मैं कितनी परेशान हो गई थी ? आप कुछ कहकर भी नहीं गए थे। "

मदन," माला, मैं अपने खेतों पर गया था। वहां सारी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। मैं वहीं बैठा रो रहा था। तभी कुछ जादुई घटना हुई। " 

यह कहते हुए मदन माला को सारी कहानी विस्तार से समझाता है कि किस तरह उस जादुई चिड़िया ने मदन को जादुई बीज दिए ?

माला," अरे ! क्या आप सच कह रहे हैं ? चिड़िया ने आपको जादूई बीज दिए हैं तो जरूर हमारे खेतों में सोने की आम लगेंगे। उसकी कही हुई बात जरूर सच होगी। 

तुमने उस चिड़िया की मदद करके अच्छा ही किया। अब हमारी सारी मुसीबतें दूर हो जाएंगी। बस अब हमें अपने खेतों में जादुई फसल का इंतजार करना होगा। "

मदन और माला सो जाते हैं और अगली सुबह ही मदन खेतों पर जाकर वह जादुई बीज डाल देता है। 

उन्हें अच्छी तरह पानी देता है। कुछ दिनों के इंतजार के बाद मदन के आम के पेड़ों पर सचमुच के सोने के आम नजर आ रहे थे।

मदन," अरे ! मैं यह क्या सपना देख रहा हूं ? यहां तो सचमुच सोने के आम लगे हुए हैं। उस चिड़िया की कही हुई बात सच हो गई। 

मैं जल्दी से ही आम तोड़कर घर ले जाता हूं और इन्हें तुरंत जाकर बाजार में बेच आता हूं। धन्यवाद भगवान ! आपका लाख-लाख शुक्रिया। "

मदन एक-एक करके सभी आम तोड़ने लगता है। आम तोड़कर वह घर की ओर दौड़ता है। 

मदन," देखो माला देखो, उस चिड़िया की कही हुई बात सच हुई। अब हमारी गरीबी के दिन गये। देखो सोने का आम, कमाल हो गया ना। "

माला," अरे ! यह तो सचमुच के आम है। इन्हें बेचने पर तो हमें बहुत सारा धन मिलेगा। 

परंतु अभी आप केवल एक ही आम बाजा लेकर जाए और उसे बेच कर आओ। सारे आम एक साथ ले जाना खतरनाक होगा। "

मदन एक आम लेकर बाजार जाता है और उसे बेचने के बाद उसे काफी पैसा मिलता है। 

मदन," माला, हमें केवल एक आम बेचने पर ही इतना सारा पैसा मिल गया तो बाकी के आम मैं बाद में बेचूंगा। "


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माला," क्यों ना आप खेतों का काम छोड़कर आभूषणों की एक दुकान खोल लें ? इतने आमों से तो काफी आभूषण तैयार हो जाएंगे और उनसे काफी मुनाफा भी होगा। "

मदन," हां, यह तो बहुत अच्छा विचार है। "

इसके बाद से मदन एक आभूषणों की दुकान खोल लेता है जो कि काफी अच्छी चलने लगती है। 

इसीलिए कहते हैं कि नेकी कभी खाली नहीं जाती। यदि हम किसी की मदद करते हैं तो हमें भी उसके बदले में मदद का फल मिलता है।


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