बदमाश पुलिस | Badmash Police | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories

बदमाश पुलिस | Badmash Police | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories

कहानियां हमारी जीवन में एक दर्पण का कार्य करती है। यह हमेशा किसी पाठक के लिए आनंदित माहौल पैदा करने के साथ-साथ, उसे कुछ नया भी सिखाती हैं। अगर आप Hindi Stories, Moral Stories या Bedtime Stories पढ़ने के शौकीन हैं तो आज मैं आपके साथ एक नई कहानी साझा करने जा रहा हूं। इस कहानी का नाम है - बदमाश पुलिस। यह एक Moral Story है, तो कहानी में हमारे साथ अंत तक जुड़े रहें।

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Badmash Police | Hindi Kahani | Moral Stories | Hindi Stories | Bedtime Stories



 बदमाश पुलिस 


बलियापुर में इंस्पेक्टर भीमनाथ बहुत प्रसिद्ध पुलिस वाला था। उसे सब लोग बहुत अच्छी तरह जानते थे।

इसलिए नहीं क्योंकि वह बहुत बहादुर और ईमानदार था बल्कि इसलिए क्योंकि वह बहुत बेईमान और घमंडी था। भीमनाथ एक हवलदार के साथ राशन की दुकान पर जाता है। 

भीमनाथ," ओ मंगत लाल ! बहुत शिकायत आ रही है। दुकान में मिलावट करता है तू, हां ? "

मंगत लाल," साहब, यह क्या कह रहे हैं आप ? हम तो एकदम बढ़िया माल मंगवाते हैं। हमारा सामान एकदम अच्छा है। साहब, आप चाहे तो खुद देख लीजिए। "

भीमनाथ," ओ सेठ ! ओ... मुझे इतना मत सिखाओ। समझे..? तेरे को पकड़कर जेल में भेज दूंगा। राशन में मिलावट करता है और मुझे सिखाता है। 

नाम भूल गए क्या हमारा..? इंस्पेक्टर भीमनाथ... इंस्पेक्टर भीमनाथ नाम है। "

मंगत लाल," पर साहब, दया करिए। आप जो कहेंगे वह मैं करूंगा। "

भीमनाथ," देख अगर तू जेल गया तो तेरा बहुत खर्चा होगा, वो तू मुझे दे दे। मैं तुझे छोड़ दूंगा। वरना तो तू जेल जाएगा। "

मंगत लाल (मन में)," हम कर भी क्या सकते हैं ? इस राक्षस का तो हर महीने का बस यही हाल हो गया है। "

मंगत लाल इंस्पेक्टर भीमनाथ को पैसे दे देता है।

हवलदार," साहब, आपको डर नहीं लगता ? किसी ने शिकायत कर दी तो..? "

भीमनाथ," अरे लाजपत ! तुम्हें तो पहले ही डिपार्टमेंट ने पूरी तरह डरा रखा है। चुपचाप साथ रहो और मजे करो। समझे..? 

मुझसे बहस कर रहा था, नहीं जानता कि पुलिस वाले से पंगा नहीं लेना चाहिए। मेरे पास इतनी पावर है कि किसी को भी आसानी से सबक सिखा सकता हूं। "

लाजपत," क्या बात है साहब ? आप तो बड़े निडर हैं। मुझे भी सिखाइए ना कि कैसे लोगों से पैसे वसूलते हैं ? मुझे अपना चेला बना लीजिए। "

भीमनाथ," तू अभी नया नया पुलिस में भर्ती हुआ है ना, मेरे साथ रहते रहते सब सीख जाएगा तू। "

भीमनाथ पुलिस की वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रहा था।

समोसे की दुकान पर...
भीमनाथ," अरे मंगलू ! चाय समोसा दे। एकदम कड़क बनाना। "

मंगलू," अरे साहब ! आइए आइए...। "

मंगलू," गुड्डू, साहब के लिए दो प्लेट समोसे लगा तो... और साथ में कड़क चाय। "

मंगलू अपने बेटे गुड्डू को चाय और समोसे देने भेजता है। खा पीकर भीमनाथ और हवलदार दोनों जाने लगते हैं।

गुड्डू," साहब, आप पैसा देना तो भूल ही गए। "

भीमनाथ," क्या बोला तू..? पैसे लेगा हमसे..? "

उसी समय मंगलु दौड़ते दौड़ते आता है। 

मंगलू," अरे साहब ! माफ कीजिए। इसको नहीं पता कि आप कितने बड़े साहब हैं पुलिस में। छोटा बच्चा है ना... माफ कर दीजिए। "

भीमनाथ," समझाकर रख इसको नहीं तो..।"

मंगलू," हां साहब, मैं इसको समझा दूंगा। "

हवलदार," साहब के सामने झुककर ही रहना पड़ेगा। सही कहा ना साहब..? "

भीमनाथ," और नहीं तो क्या..? बड़ा आया मुझसे पैसे लेने, सारा मूड खराब कर दिया। "

भीमनाथ सबके साथ ऐसा ही व्यवहार करता। 

सड़क किनारे सब्जी की रेडी के पास जाकर...
भीमनाथ," ऐ बढ़िया ! तुझे मना किया था ना... यहां सब्जी की दुकान लगाने को। "

बुढ़िया," अरे बेटा ! यहां नहीं लगाऊंगी तो कहां लगाऊंगी ? बहुत गरीब हूं बेटा, दया करो। मुझे यहां दुकान लगाने दो। "

भीमनाथ," मना किया था ना, तू यहां दुकान नहीं लगा सकती। "

हवलदार," साहब, यहां पर सब्जी की रेडी लगाने में कोई समस्या नहीं है फिर आप इसे मना क्यों कर रहे हैं ? "

भीमनाथ," डराना पड़ता है इन लोगों को, तब जाकर झुकते हैं ये। "

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बुढ़िया," बेटा, मैं बहुत गरीब हूं। किसी तरह अपना पेट पाल लेती हूं। दया करो, बहुत दुआएं दूंगी तुम्हें। "

भीमनाथ," दुआ का मैं क्या करूंगा ? "

भीमनाथ," तू जानती नहीं, मैं क्या कर सकता हूं ? जा यहां से नहीं तो हजार रुपए दे। "

सब्जी वाली दुखी होकर घर चली जाती है। घर पर उसकी एक अपाहिज पोती थी जो बैसाखी के सहारे उसके पास आती है।

लड़की," दादी, आप इतना जल्दी आज कैसे आ गई ? "

बुढ़िया," क्या बताऊं बेटी ? अब मैं वहां सब्जी नहीं बेच पाऊंगी। "

लड़की," पर क्यों दादी..? वहां क्या दिक्कत है ? वहां तो बहुत से लोग सब्जियां बेचते हैं और आप तो बहुत अच्छी सब्जियां रखती हैं। "

बुढ़िया (रोते हुए)," हम गरीबों का कोई सहारा नहीं होता, बेटी। शहर के बड़े पुलिस वाले ने मुझे वहां रेडी लगाने से मना कर दिया। 

वह मुझसे पैसे मांग रहा था, तभी वहां सब्जियां बेचने देगा। मैंने कहा - मैं गरीब हूं, कहां से पैसे लाऊंगी ? घर का खर्चा अब कैसे चलेगा ? मैं तुझे क्या खिलाऊंगी ? "

लड़की," आप रोइए मत, दादी। मेरी चिंता मत कीजिए। दादी, मुझे बिल्कुल भूख नहीं लगती। चलिए दादी... हम पुलिस अंकल को बोलते हैं। वह हमारी बात जरूर मान जाएंगे। "

बुढ़िया," नहीं मेरी बच्ची, वह तेरी भी बात नहीं मानेगा। मुझे माफ करना, मैं तेरा ख्याल नहीं रख पा रही हूं। "

दोनों दुखी होकर रह जाती हैं। उसी शहर में केशव नाम का एक गरीब ऑटो चलाने वाला रहता था। एक दिन भीमनाथ गस्त लगा रहा था। तभी वहां केशव अपने ऑटो से गुजर रहा था।

भीमनाथ उसे रोक लेता है और चालान मांगने लगता है।

भीमनाथ," हां भाई, गाड़ी के पेपर दिखा। "

केशव," साहब, मेरे पास सब पेपर है। आप देख लीजिए। "

भीमनाथ," हां, तो क्या..? हजार रुपए निकाल। तेरा चालान कटा है। "

केशव," हजार रुपए... किस बात के साहब ? मेरे तो सारे कागज सही है। "

लाजपत (हवलदार)," हां साहब, इसके तो सारे पेपर सही हैं। "

भीमनाथ," तुम चुप रहो। "

हवलदार," साहब जो बोल रहे हैं, वह कर वरना तेरी गाड़ी हड़प लूंगा। "

केशव," पर यह गलत है साहब। मैं क्यों दूं आपको पैसे..? मैं नहीं दूंगा। ये आप लोग गलत कर रहे हैं। "

भीमनाथ फिर केशव को शराब पीकर गाड़ी चलाने के झूठे जुर्म में जेल भिजवा देता है। इस तरह सब भीमनाथ से परेशान थे।

गांव में...
आदमी," ये हमारे गांव के जो इंस्पेक्टर हैं, बड़े लालची हैं भाई। हर समय झूठे इल्जाम का डर दिखाकर हमसे पैसे वसूलते हैं। "

दूसरा आदमी," हां भैया, सही कह रहे हैं। हम तो बड़ा परेशान हो गए हैं। काम धंधा करना भी बड़ा मुश्किल सा हो गया है। "

तीसरा आदमी," अब क्या करें भैया ? इनकी बात तो माननी ही पड़ेगी वरना पता नहीं... यह क्या कर दें ? "

चौथा आदमी," अब देखो भैया... कैसे और कब तक हमें उससे राहत मिलती है। हर बुराई का कभी ना कभी तो अंत होता ही है।

सच ही कहा गया है... हर बुराई का अंत जरूर होता है। रिश्वत के पैसों से भीमनाथ ने एक कार खरीदी और अपनी पत्नी और बेटी को लेकर उसमें घूमने जाने वाला था। 

भीमनाथ," अरे मालती ! सुनती हो ? देखो बाहर, क्या लाया हूं आज ? "

मालती," अरे वाह ! नई कार। क्या जी... आपको बोनस मिला है क्या ? "

भीमनाथ," अरे ! मेरी लाडो, इंस्पेक्टर भीमनाथ अगर चाहे तो हर रोज बोनस मिल सकता है। तुम आम खाओ, गुठलियां क्यों गिन रही हो ? "

भीमनाथ," कैसी लगी कार, मेरी यह गुड़िया को..? "

बेटी," बहुत अच्छी है पापा। मुझे जू (चिड़ियाघर) ले चलिए और आइसक्रीम भी खिलाएगा, पापा। "

मालती," हां, पर पहले हम मंदिर चलेंगे। ठीक है ना..? "

बेटी," ठीक है मम्मी, पर आइसक्रीम जरूर खिलाना। "

भीमनाथ," मेरी गुड़िया जो कहेगी वही होगा। "

भीमनाथ मस्ती में कार चला रहा था। अचानक सामने से एक ट्रक आता है जिसका ड्राइवर नशे में था। ड्राइवर बहुत तेज ट्रक चला रहा था। "

ट्रक ड्राइवर (गाना गाते हुए)," ला.. ला.. ला.. आज मौसम है सुहाना, दारु पीने का है बहाना, ला.. ला.. ला..। "

भीमनाथ की गाड़ी का संतुलन बिगड़ जाता है और वो एक पेड़ से टकरा जाती है। उसकी बेटी को ज्यादा चोट लग जाती है। 

तभी वहां केशव अपना ऑटो लेकर गुजर रहा होता है। 

केशव," साहब, बाहर आ जाइए, मेरा हाथ पकड़कर। "

भीमनाथ किसी तरह बड़ी मुश्किल से बाहर निकल पाता है।

केशव," साहब, अंदर और भी लोग हैं क्या ? "

भीमनाथ," मेरी गुड़िया... मेरी गुड़िया अंदर ही है और मेरी पत्नी भी। "

केशव," हां साहब, मैं अभी निकलता हूं। आप फिकर मत कीजिए। "

बड़ी मुश्किल से केशव सब को बाहर निकालता है और अपने ऑटो में बैठाकर अस्पताल ले जाता है। 

अस्पताल में...
डॉक्टर," अभी आपकी पत्नी ठीक है। आपकी बेटी को खून की जरूरत है। जल्दी ही इंतजाम कर दीजिए। "

भीमनाथ," मैं कोशिश करता हूं। आप मेरी बेटी का इलाज अच्छे से कर दीजिए। "

इस वक्त तक केशव ने यह बात पूरे गांव में बता दी थी और सभी गांव वाले अस्पताल में आ गए थे।

केशव," साहब आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए। मैं बिटिया रानी को अपना खून दे दूंगा। "

भीमनाथ," आप लोग कितने अच्छे हैं ? मैंने आप सभी लोगों के साथ कितना बुरा बर्ताव किया ? फिर भी आप सभी लोग मेरी मदद के लिए यहां खड़े हैं। "

बुढ़िया," आप चिंता मत कीजिए, साहब। बिटिया रानी बिल्कुल ठीक हो जाएंगी। "

भीमनाथ," मां, आपको तो मैंने बहुत दुख दिया है फिर भी आप मुझे दुआ दे रही हैं। आप सब लोग मुझे माफ कर दीजिए। आप लोगों ने मेरी आंखे खोल दी। 

अब मैं कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा और अपनी वर्दी का हमेशा सही इस्तेमाल करूंगा। आप सब की वजह से मेरी गुड़िया और हम लोग बच पाए। आप लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद ! "


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हवलदार," साहब अच्छा हुआ कि आप वक्त रहते सुधर गए। अगर गलती से मैं आपका सीनियर बन जाता तो आपको मैं ही सुधारता। "

भीमनाथ (गुस्से से)," कुछ ज्यादा नहीं बोल रहे हो लाजपत..? अभी तो सीनियर में ही हूं। "

लाजपत," गलती से जुबान फिसल गई, साहब। "

यह सुनकर सब लोग जोर जोर से हंसने लगते हैं।


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